चिकित्सा विभाग की घर घर सर्वे की खुली पोल: अंधविश्वास के भरोसे 15 माह की मासूम बालिका ने तोड़ा दम

समय पर नहीं दिया उपचार, तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो एनवक्त पर लाये चिकित्सालय, आखिर उपचार से कैसे वंचित रही मासूम बालिका

May 18, 2022 - 23:01
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चिकित्सा विभाग की घर घर सर्वे की खुली पोल: अंधविश्वास के भरोसे 15 माह की मासूम बालिका ने तोड़ा दम

भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा/ मूलचन्द पेसवानी ) भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड क्षेत्र में आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में आज भी अंधविश्वास का खेल जारी है। ग्रामीण आज भी अंधविश्वास के चलते देवरों पर ही उपचार की इंतजार में समय जाया कर रहे है। ऐसे ही एक प्रकरण में आज पांच माह की मासूम बालिका ने देवरों पर ज्यादा समय बीत जाने पर ऐनवक्त पर उसे उपचार के लिए चिकित्सालय पहुंचे तो उसने दम तोड़ दिया। मृतका आसींद उपखंड के सूलवाड़ा ग्राम निवासी है। 
15 माह की मासूम बालिका ने भले ही उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया पर बड़ा सवाल यह है कि पिछले लंबे समय से बालिका बीमार थी तो फिर स्वास्थ्य कर्मी घर घर पहुंच कर जन आधार कार्ड के आधार पर प्रत्येक सदस्य का स्वास्थ्य परीक्षण करने के दौरान यह चूक कैसे हो गयी। आसींद में अंधविश्वास के नाम पर इस प्रकार का खेल लंबे समय स ेचल रहा है। पहले भी बड़ी कार्रवाई हुई पर फिर से पुलिस व प्रशासन की लापरवाही के चलते एक बार फिर से यह सुर्खियों में आ गया है। 
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी अंधविश्वास का खेल जारी है जिसके चलते आसींद उपखंड के सुलवाड़ा गांव में आज एक 15 माह की बालिका को इलाज के अभाव में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। पांच माह से निरन्तर थी बीमार। आज तबियत ज्यादा खराब होने से परिजन लाये आसींद सीएचसी, जिला मुख्यालय पर रेफर करने पर 108 एंबूलेंस में ही तोड़ा दम।
आसींद उपखंड के सुलवाड़ा गांव में आज एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक 15 माह की मासूम बच्ची को इलाज के अभाव में अपनी जान गवानी पड़ी। जब इस मासूम बालिका को परिजन आसींद के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर आये तो हालत नाजुक बनी हुई थी। मासूम बालिका जीवन मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही थी। परिजनों ने बताया कि 15 माह की मासूम बच्ची नोरती पिता प्रभु लाल भील निवासी सुलवाड़ा पिछले 5 माह से निरंतर बीमार थी और उसे आस पास के तथाकथित भोपो को दिखाया और तंत्र मंत्र टोने टोटके भी करवाया। 
परिजनों ने बताया की भोपाओं ने अस्पताल में इलाज के लिए मना कर दिया था। इस के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ जिसके चलते हम आज इसको आज राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाए हैं। इससे 15 माह की बच्ची की हालत अत्यधिक बिगड़ने के कारण इसे चिकित्सकों ने भीलवाड़ा रेफर कर दिया था और इसको 108 एंबूलेंस में जैसे ही ले जाया गया इसने दम तोड़ दिया।
राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के चलते गांव में सरकार के सख्त निर्देश है कि हर घर जाकर व आसपास के क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मि घर घर जाकर इस तरह की बीमार बच्चे बच्चियों का सर्वे करें और उन्हें समय पर उपचार के लिए प्रेरित करें ताकि इस तरह से इलाज के अभाव में या भोपाओं  के चक्कर में आकर कोई भी मासूम बालक बालिका इस तरह से मौत के शिकार नहीं हो।

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