मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे झोलाछाप डॉक्टर: निजी अस्पताल में उपचार के दौरान गर्भवती महिला की मौत, संचालक हॉस्पिटल बंद करके फरार

स्वास्थ्य विभाग छापेमारी कर अवैध हॉस्पिटलों, एक्सरे सेंटरों, पैथोलॉजी इत्यादि पर लगाम लगाने के बजाय शिकायत का करता है इंतजार

Aug 7, 2022 - 04:27
Aug 8, 2022 - 20:27
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मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे झोलाछाप डॉक्टर: निजी अस्पताल में उपचार के दौरान गर्भवती महिला की मौत, संचालक हॉस्पिटल बंद करके फरार

चौरीचौरा (गोरखपुर/ उत्तरप्रदेश) चौरीचौरा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत एक निजी हॉस्पिटल चलाया जाता है जिस पर कुछ नामचीन डॉक्टर के नाम और डिग्री लिखकर उनके नामों को भजाया जाता है यदि बड़ी बीमारी का मामला आता है तो उन्हें उनके हॉस्पिटल में कमीशन पर पहुंचा दिया जाता है जहां इलाज के दौरान एक गर्भवती महिला की मृत्यु हो गई प्रदेश सरकार सरकारी हॉस्पिटलों की व्यवस्था सुधारने में चाहे कितना भी प्रयास कर ले लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाएं इतनी चर्चित हो गई हैं कि स्वास्थ्य विभाग मंइ कार्यरत आशाओं द्वारा निजी अस्पतालों में कमीशन के चक्कर में मरीजों को ले जाने का मामला आए दिन आता रहता है

स्वास्थ्य महकमे की हनक प्राइवेट अस्पतालों में इतनी हो गई है कि आए दिन डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों की मौत का मामला प्रकाश में आता रहता है लेकिन निजी अस्पतालों में पहले तो गरीब मरीजों का शोषण किया जाता है उसके बाद जब मरीजों की मौत हो जाती है तब अस्पताल संचालक द्वारा मृतक के गरीब परिजनों को पैसे देकर मामले को दबा दिया जाता है और स्वास्थ्य महकमा शिकायती पत्रों का करता रहता है इंतजार..... 
ताजा मामला गोरखपुर जनपद के चौरी चौरा क्षेत्र का है क्षेत्र में स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल पर प्रसव के दौरान एक महिला की मौत का मामला प्रकाश में आया है वही मृतकों के परिजनों ने समाचार प्राप्त होने तक अभी कोई तहरीर नहीं दी है सूत्रों का दावा है कि डॉक्टर परिजनों से मिलकर मामले को रफा-दफा करने के चक्कर में लगा हुआ है मृतक गर्भवती महिला के गांव की ही एक आशा चौरीचौरा क्षेत्र के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था जहां पर प्रसव के दौरान उसकी मौत हो गई थी क्षेत्र में ऐसा यह पहला मामला नहीं है कई ऐसे मामले पहले भी सामने आए हैं

जहां क्षेत्र की आशाओं द्वारा कमीशन के चक्कर में सरकारी हॉस्पिटल में ले जाकर गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है हालत बिगड़ती है तो दूसरे जगह रेफर कर दिया जाता है मरीजों की मौत होने के बाद पैसे के दम पर गरीब मरीजों के परिजनों का मुंह बंद कर दिया जाता है और स्वास्थ्य महकमा शिकायत का इंतजार करता रहता है जबकि क्षेत्र में तमाम झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते रहते हैं

स्वास्थ्य विभाग छापेमारी कर अवैध हॉस्पिटलों, एक्सरे सेंटरों, पैथोलॉजी इत्यादि पर लगाम लगाने के बजाय शिकायत का इंतजार करता है और जिले के सीएम सीएमओ साहब से जब अवैध सेंटरों के संबंध में पूछा जाता है पत्रकारों दल ही नसीहत देने लगते हैं कि शिकायत कार्रवाई ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान से यह जरूर स्पष्ट होता है कि अवैध हॉस्पिटल का संचालन रोकना सीएमओ साहब के बस की बात नहीं है घटना के बाद आस पास बने इसे क्लिनिको के संचालक हॉस्पिटल बंद करके फरार हो गये 

  • रिपोर्ट शशि जायसवाल

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