सरकार के तुगलकी फरमान से जिलों की नगरी में बगावत के सुर

Feb 8, 2022 - 20:53
Feb 8, 2022 - 20:57
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सरकार के तुगलकी फरमान से जिलों की नगरी में बगावत के सुर

ईमानदार पुलिस ऑफिसर हिमांशु सिंह राजावत  का भरतपुर रेंज में ट्रांसफर के बाद में बढ़ने लगा विरोध ,  
स्वच्छ छवि,  ईमानदार चेहरा एवं अपराधियों में भय आमजन में विश्वास का पर्याय बने हिमांशु सिंह राजावत।

उदयपुर(राजस्थान/मुकेश मेनारिया) राजस्थान प्रदेश के पुलिस की छवि को बरकरार रखने एवं अपने कार्यशैली से दी जा रही सेवाओं से क्षेत्रवासियों एवं आमजन के जनमानस में जगह बनाने वाले  पुलिस अफसर  हिमांशु सिंह राजावत के भरतपुर रेंज में ट्रांसफर के मामले को लेकर के उदयपुर जिले में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। वही राजस्थान सरकार एवं पुलिस विभाग के उच्च अफसरों पर आक्रोश की  चिंगारी  की लपटे  और जोर पकड़ रही है। 

  • प्रारंभिक जीवन---- 

राजस्थान प्रदेश के पाली जिले के एक गांव  बीटवाडा में जन्मे  हिमांशु सिंह राजावत के पिता शिक्षा विभाग से वास्ता रखते है।  अपने पांच भाई बहन के साथ में शुरुआती दौर से ही सरकारी सेवा एवं यूनिफॉर्म सर्विस को लेकर के लगन रखने वाले हिमांशु सिंह राजावत की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। राजावत उस ग्रामीण परिवेश से वास्ता रखते हैं जिसमें पढ़ाई को लेकर के उतना महत्व नहीं है । स्थानीय परिवेश का जन समूह प्रारंभिक शिक्षा के बाद दो  जून की रोटी के खातिर अन्य शहरों में और विदेशों  में कार्य हेतु लोग  मजदूरी के लिए चले जाते हैं।   लेकिन राजावत ने अपने दृढ़ निश्चय एवं कई मामलों में खुद के लिए गए निर्णयों से पारिवारिक मनमुटाव से भी गुजरना पड़ा। राजावत के परिवार से इच्छा थी कि हिमांशु से शिक्षा विभाग में नौकरी करे लेकिन उनके स्वयं केसे फ्लोर एवं दृढ़ निश्चय के कारण से उन्होंने पुलिस विभाग चुना । 
तत्कालीन परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए उच्च शिक्षा हेतु उदयपुर में एक सरकारी महाविद्यालय से स्नातक हेतु आवेदन कर उच्च शिक्षा कि शुरुवात  की। शुरुआती दौर से ही संघर्ष का पर्याय बने हिमांशु सिंह कॉलेज जीवन के दौरान हाथ से खाना बनाते थे। मात्र एक मित्र जो के साथ उनके ही चारदीवारी में पार्टनर में रहकर जो स्वयं पुलिस की तैयारी कर रहे थे उनके साथ पुलिस सब इंस्पेक्टर की तैयारी की। अपने घर को छोड़ने के दौरान आने वाले कल को बदलने के लिए चंद पैसों के साथ मात्र एक जोड़ी कपड़ों से घर छोड़ा और उदयपुर संघर्ष के सफर में आगे बढ़े। कड़ी मेहनत और सच्चे मन से मात्र 4 महीनों की तैयारी में राजस्थान पुलिस उपनिरीक्षक  की  लिखित परीक्षा पास की।

  • होटल के रिसेप्शन में रात भर पढ़ाई के साथ अलसुबह करते हुए फिजिकल की तैयारी---- 

हिमांशु सिंह राजा और तत्कालीन कई विपरीत परिस्थितियों से उन्हें गुजारना पड़ा साथ ही आर्थिक तंगी एवं  घर गुजारा चलाने के लिए उन्होंने पढ़ाई के साथ साथ में दो वक्त की रोटी के खातिर होटल पर रिसेप्शन की नौकरी भी करनी पड़ी। अधिकतर रात की ड्यूटी के दौरान रिसेप्शन पर लिखित परीक्षा के साथ-साथ अन्य विषयों की तैयारी भी की।  वही अल  सुबह उठते ही शारीरिक दक्षता हेतु मैदान में जुट जाते । 

  • यहां दी सेवाएं ---- 

पुलिस उप निरीक्षक पद पर चयन के बाद सबसे पहली सेवाएं 1999 में दी। वही   राजसमंद में भी  सेवाएं दी । उदयपुर रेंज में ट्रांसफर के बाद प्रताप नगर थाना,  खेरोदा थाना,  भिंडर , चित्तौड़गढ़ के कपासन सहित क्षेत्र के विभिन्न थानों में अपनी स्वच्छ छवि और अपराधियों में भय आमजन में विश्वास के संकल्प को पूरा करते हुए लोगों में पुलिस विभाग की छवि को स्वच्छ रखने हेतु हमेशा संघर्षरत रहे। आम गरीब आदमी की आवाज के साथ साथ में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी उभरे। वहीं वर्तमान में जिले के प्रताप नगर थाने में सेवाएं दे रहे हैं। 

  • सोहराबुद्दीन कांड ने बदली उनकी सूरत ---

उदयपुर जॉन  में  ट्रांसफर के बाद  राजावत 150 पुलिस  उप निरीक्षक में से हाई प्रोफाइल अपराधियों की धरपकड़ हेतु अपने उच्च अधिकारियों के निर्देशन में उनका  चयन हुआ। इसी दौरान बहुचर्चित सोहराबुद्दीन  अपराधी को पकड़ने के लिए अपने उच्च अधिकारियों के साथ जांच पड़ताल शुरू कर दी । राजावत एवम उनकी टीम द्वारा शहाबुद्दीन अपराधी को पकड़ने के दौरान हुई बहुत चर्चित मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन की मौत हो गई। उक्त  मामले में  अपनी टीम के साथ चर्चा में आए हिमांशु सिंह राजावत के ऊपर  सियासी साजिश के  तहत गिरी  गाज  ने राजावत के जीवन को एक नए मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया । 

पुलिस विभाग हमेशा सियासी नुमाइंदों की कठपुतली बनता आया है। इसी  तहत सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामला बढ़ने के बाद सवा 7 साल तक कारावास में जीवन यापन करना पड़ा। सोहराबुदिन  कांड विवाद में तत्कालीन सरकार एवं नामी एजेंसियों को हिला कर रख दिया। बढ़ते मामले को देख कर के नामी देश की एजेंसियों द्वारा जांच शुरू की गई वही देश की नामी सेंट्रल जेल तलेजा  जो माया नगरी मुंबई में स्थित  है । उसमें राजावत को अपनी टीम के साथ शिफ्ट किया गया। 

  • आपदा में ढूंढा अवसर-----

सवा सात साल तक जेल में उन्हें कई विपरीत परिस्थितियों एवं देश के नामी अपराधियों के साथ जीवन यापन करना पड़ा। स्नातक के बाद में पुलिस विभाग में नौकरी में आए राजावत कई विपरीत परिस्थितियों से गुजरे हैं वहीं नामी अपराधियों के साथ में खाकी की साख को बचाना भी राजावत का फर्ज बन गया था।
इसी दौरान इंग्लिश विषय में कमजोर होने के कारण उन्होंने सलाखों के पीछे कई लेखकों के अच्छी किताबें पढ़ने के साथ साथ में अंग्रेजी विषय में ज्ञान  को बटोरने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं   हुयुमन रिसोर्स मैनेजमेंट में एम् बी ए  अच्छे  अंकों के साथ पास की । राजावत के जीवन को अगर करीब से जाने तो सलाखों के पीछे सवा 7 साल तक कई परिस्थितियों से उन्हें गुजरना पड़ा।  उनके साथ हुई बदले की भावना से घटित  घटनाएं इस बात की गवाह है की परिस्थितियां किसी की भी  कभी भी बदल सकती है और इंसान को  अर्श से फर्श तक आने में समय नहीं लगता इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी राजावत अंदरुनी रूप से नहीं टूटे और सलाखों के पीछे अपने खाकी की साख को बचाने में कामयाब रहे।
वहीं पुलिस की छवि को बरकरार रखते हुए फिर से पोस्टिंग हुई।पुलिस की सेवा देने के दौरान भी उन्हें कई बार उक्त मामले में मुंबई हाईकोर्ट में पेशियों के लिए जाना पड़ता था वही लंबे अरसे के बाद उन्हें एवं पूरी टीम को ससम्मान बरी किया गया। 

  • यह मिल चुके हैं अवार्ड ---

राजावत प्रारंभिक शिक्षा से ही खेलकूद प्रतियोगिता और शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहने की वजह से प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा में कई बार सम्मानित हो चुके हैं। वही पुलिस उप निरीक्षक के शारीरिक दक्षता ट्रेनिंग के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री द्वारा भी बेस्ट आउटडोर अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं। वहीं पिछले साल अहिल्यादेवी होलकर राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं। इनके अलावा कई जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय कार्यक्रमों में भी राजावत सम्मानित हो चुके हैं। 

  • युवाओं के बने प्रेरणा स्त्रोत----

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस  में आईपीएस दिनेश एमएन की  टीम का हिस्सा रहे हिमांशु सिंह राजावत हमेशा बहादुरी एवं कर्तव्य परायणता की वजह से कभी पीछे नहीं हटे।और आज भी उस जोश के साथ सेवाएं दे रहे हैं। जिसके चलते हैं वर्तमान में उदयपुर एवं मेवाड़ क्षेत्र के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने है। उनकी सच्ची लगन एवं आमजन में विश्वास के कारण से क्षेत्र एवं प्रदेश के कोने-कोने में उनके सोशल मीडिया के माध्यम से हजारों युवा उनके फैन फॉलोइंग है। वह एक स्वच्छ छवि के पुलिस अफसर ही नहीं अपितु मोटिवेशनल स्पीकर , समाज में बदलाव हेतु हर परिस्थिति में आमजन के साथ खड़े नजर आते हैं। कोरोणा काल के दौरान उनके द्वारा दी गई सेवाएं बहुत ही सराहनीय रही। 

  • सरकार की दोहरी मानसिकता पर उठ रहे हैं सवाल, --

जहां एक और यह राज्य सरकार प्रदेश में आपराधिक गतिविधियों को कम करने हेतु हर संभव प्रयास कर रही है।  वही गहलोत सरकार के द्वारा  जारी किए गए तुगलकी फरमान से जादूगर की दोहरी मानसिकता झलकती नजर आ रही है। अचानक हिमांशु सिंह का भरतपुर रेंज में ट्रांसफर  उदयपुर मेवाड़ शांत झीलों की नगरी में उबाल लें कर आगई है। उदयपुर क्षेत्र के आमजन सोशल मीडिया के माध्यम से अपने बगावती सुर तेज करते हुए साफ-साफ लिख रहे हैं कि ऐसे स्वच्छ छवि के अफसरों को 700 किलोमीटर दूर ट्रांसफर करने का मतलब यह है कि उनके मनोबल को तोड़ना। लेकिन जब-जब भी  राजावत को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा है वह खरे सोने की तरह सही साबित हुए हैं। पिछले दिनों से उनके समर्थन में सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार की चेतावनी भरे शब्दों में साफ-साफ जाहिर हो रहा है की सरकार दोहरी मानसिकता से उभरे।   वही हिमांशु सिंह का बार-बार ट्रांसफर करना जादूगर की सियासी  सल्तनत पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। गौरतलब है कि राजावत का चित्तौड़गढ़ जिले से हाल ही में  उदयपुर ट्रांसफर हुआ। इसे एक माह भी भी नहीं हुआ और पुनः ट्रांसफर करना उन्हें सियासी सल्तनत की कठपुतली बनाने का हिस्सा माना जा रहा है । अब देखना यह है की सरकार को बनाने  वाले जन मानस की बात रहती  है या फिर जादूगर की हठधर्मिता। 

  • समर्थन में उतरने लगे हैं सरकार के ही कार्यकर्ता--- 

उदयपुर की वस्तुस्थिति अब ऐसी हो गई है कि आज एक थाना अधिकारी के ट्रांसफर को  रोकने के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार के खिलाफ उदयपुर शहर के कई कांग्रेस के पार्टी पदाधिकारी उदयपुर रेंज के उच्च अधिकारियों को ज्ञापन देकर ट्रांसफर रोकने की कवायद शुरू कर दी है।

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